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लेखनी प्रतियोगिता -25-Sep-2022 जासूसी

जब से हम प्रतिलिपि पर लिखने लगे 
श्रीमती जी को बहुत खटकने लगे 
इश्क मुहब्बत वाले गीत गजल मुक्तक 
और हसीन फोटो से वे उबलने लगे 

एक दिन स्टारमेकर पर गाते देख लिया 
किसी स्वर कोकिला से सुर मिलाते देख लिया 
तब से वो हम पर निगाह रखने लगे 
चुपके चुपके मोबाइल चैक करने लगे 

उनकी हरकतों पे हमें हंसी आ रही थी 
पर उनकी जान हलक में फंसी जा रही थी 
उनकी जासूसी उनके कोई काम नहीं आई 
क्योंकि जैसा वो सोच रही थी वैसा था नहीं, भाई 

हर औरत अपने आप में जासूस होती है 
कुछ बहुत भोली कुछ "खडूस" होती हैं 
पुलिस से ज्यादा खौफ बीवी का होता है 
संभल के रहना, हर घर में जासूस होता है 

श्री हरि 
25.9.22 


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3 Comments

Raziya bano

10-Oct-2022 09:38 PM

Bahut khub

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Swati chourasia

26-Sep-2022 08:57 AM

बहुत खूब 👌

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Abhinav ji

26-Sep-2022 08:48 AM

Very nice👍

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